राजस्थान के बीकानेर में एक ऊंट चालक बना आईपीएस ऑफिसर, इसे पढ़कर आप इस बेटे की मेहनत को सलाम करेंगे.

TNN News,
राजस्थान के बीकानेर शहर में इन दिनों एक बेहद खूबसूरत नजारा देखने को मिल रहा है. दरअसल, इस गांव में एक ऊंट चालक रहता है, जो अपने परिवार की रोजी-रोटी के लिए ऊंट से इधर-उधर का सामान ट्रांसपोर्ट करता है, लेकिन उसके परिवार का गुजारा बहुत मुश्किल है. आपको बता दें कि हाल ही में इस ऊंटगाड़ी के चालक के बेटे ने ऐसा कमाल किया है कि पूरा गांव उसकी तारीफ करने लगा है और हर कोई उसकी तारीफ करते नहीं थक रहा है. आपको बता दें कि ऊंट गाड़ी चलाने वाले का बेटा हाल ही में आईपीएस ऑफिसर बनकर अपने गांव आया है, जिसे देखकर सभी बेहद खुश हैं. आइए आपको बताते हैं कि किस तरह ऊंट चालक के बेटे ने आईपीएस परीक्षा में भारत में 170वीं रैंक हासिल की और आज अपने बेटे की वजह से वही ऊंट चालक अपने गांव में अपने बेटे की बड़ाई करता नजर आ रहा है.
प्रेमसुख ने बढ़ाया गांव में मां-बाप का मान पिता ऊंटगाड़ी चलाते थे
प्रेमसुख डेलू की एक बेहद खूबसूरत कहानी इन दिनों सोशल मीडिया पर छाई हुई है, जिसमें उनके संघर्षों की कहानी देखकर हर कोई उनकी जमकर तारीफ कर रहा है और कहता नजर आ रहा है कि प्रेमसुख जैसा बेटा मिला तो क्या हुआ. बात यह है कि। आपको बता दें कि प्रेमसुख का जन्म बीकानेर के रासीसर गांव में हुआ था, जहां वे बचपन से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे और दूसरे कामों में भी वे अपने पिता की मदद किया करते थे. किसी तरह उन्होंने 10वीं तक पढ़ाई की और उसके बाद उन्होंने डूंगर यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। आइए आपको बताते हैं कि कैसे प्रेमसुख डेलू ने कई मुश्किलों के बाद भी अपने जीवन में हार नहीं मानी और आज उन्होंने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिस पर उनके माता-पिता को गर्व है।
प्रेमसुख डेलू ने माता-पिता का मान बढ़ाया, माता-पिता खुश नहीं हैं
प्रेमसुख डेलू की एक बेहद खूबसूरत कहानी लोगों के सामने देखी जा रही है जिसमें उन्होंने 2015 में आईपीएस परीक्षा में 170वीं रैंक हासिल की है. प्रेमसुख की यह रैंक इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने यह रैंक हिंदी माध्यम में हासिल की थी जो सबसे ज्यादा है. मुश्किल है और जैसे ही वे आईपीएस अधिकारी बने, उसके तुरंत बाद वे अपने माता-पिता से मिलने गए, फिर उसी तरह का जीवन जी रहे हैं, जैसा वे शुरू से जी रहे थे। प्रेमसुख डेलू ने बताया कि उन्हें यहां तक पहुंचाने में उनके माता-पिता की अहम भूमिका रही क्योंकि माता-पिता के बिना वह कुछ भी नहीं थे. प्रेमसुख ने बताया कि उन्होंने यहां आने के लिए लंबा संघर्ष किया है लेकिन उन्होंने अपने पिता से सीखा है कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए और वह अपने इस लक्ष्य पर अडिग थे, जिसका परिणाम है कि उनके माता-पिता को आज भी अपने बेटे पर बहुत गर्व है. .
#रजसथन #क #बकनर #म #एक #ऊट #चलक #बन #आईपएस #ऑफसर #इस #पढकर #आप #इस #बट #क #महनत #क #सलम #करग
News Source