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लंबे संघर्ष के बाद अर्चना देवी ने भारत को वर्ल्ड कप जिताया, बचपन में ही पिता का साया सिर से उठ गया था

TNN News,

शेफाली वर्मा के नेतृत्व में भारत की 19 महिलाओं ने इंग्लैंड को 7 विकेट से हराकर पहली बार वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया है. भारतीय महिलाओं ने इस सुनहरे अध्याय को हमेशा के लिए सुनहरे अक्षरों में लिख दिया है और दिखा दिया है कि भारतीय महिलाएं किसी से कम नहीं हैं। इस खिताबी मुकाबले में भारतीय कप्तान शेफाली वर्मा के अलावा अर्चना देवी ने हरफनमौला खेल दिखाया और पूरे वर्ल्ड कप के दौरान अर्चना देवी भारत के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन करती नजर आईं और कहीं न कहीं उनकी वजह से भारतीय टीम खिताब जीतने में कामयाब रही है. अर्चना देवी का मानना ​​है कि भारत की सभी खिलाड़ियों ने शानदार खेल दिखाया लेकिन मैच के बाद भारत की कप्तान शेफाली वर्मा ने अपनी खिलाड़ी अर्चना देवी की जमकर तारीफ की. आइए आपको बताते हैं कि लंबे संघर्ष के बाद कैसे अर्चना देवी इस मुकाम पर पहुंची हैं कि आज भी वह अपने संघर्षों को याद कर भावुक हो जाती हैं।

अर्चना देवी क्रिकेटर

अर्चना देवी के सिर से बचपन में ही पिता का साया उठ गया था, छोटा भाई भी साथ नहीं था

भारत को वर्ल्ड कप जिताने में अर्चना देवी का बहुत अहम रोल रहा है. आपको बता दें कि इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल मैच में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था और कहीं न कहीं पूरा भारत आज अर्चना देवी पर गर्व महसूस कर रहा है. हालांकि, इस महिला खिलाड़ी ने यहां तक ​​पहुंचने के लिए लंबे संघर्ष से गुजरने का फैसला किया है क्योंकि जब वह बहुत छोटी थी तब उसके पिता का निधन हो गया था और उसके बाद उसकी मां ने अपनी मेहनत से अर्चना को पाला। . इतना ही नहीं अर्चना कई दिन और कई रातें सिर्फ दूध पीकर ही काटती थी क्योंकि उसके घर में खाने के लिए भी पैसे नहीं थे। आइए आपको बताते हैं कि कैसे अर्चना देवी ने इन तमाम संघर्षों को पार करते हुए आज इस मुकाम को हासिल किया है कि पूरा भारत उनका सम्मान कर रहा है।

अर्चना देवी की सफलता लोगों के लिए मिसाल कायम, मां को सुननी पड़ी समाज की बात

जब अर्चना देवी ने अपने पिता को खोया तो उस समय उनकी आर्थिक स्थिति भी बहुत खराब थी। दरअसल, गांव के समुदाय के लोग अर्चना देवी की मां को ताने मारते थे कि उसने अपने पति के साथ कुछ किया है, क्योंकि अगर गांव में कुछ भी गलत होता तो लोग इसके लिए अर्चना देवी की मां को जिम्मेदार ठहराते थे. . इन्हीं सब बातों से परेशान होकर अर्चना देवी की मां ने उन्हें गांव से बाहर एक स्कूल में भेज दिया जहां से अर्चना ने पढ़ाई के दौरान क्रिकेट की प्रैक्टिस शुरू की। अर्चना ने आज जो मुकाम हासिल किया है, वह लंबे संघर्ष के बाद हासिल किया है और यही वजह है कि वह आज भी जब अपने संघर्षों को याद करती हैं तो बेहद भावुक हो जाती हैं और कहती हैं कि सपने देखना कभी मत छोड़ो। क्योंकि सपने संघर्ष के बाद ही पूरे होते हैं।

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