सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति (Chief Justice) दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कांग्रेस समेत सात विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को नोटिस दे दिया है, लेकिन फिर भी वह अपने न्यायिक और प्रशासनिक कामकाज को करते रहेंगे. इस मसले पर संसदीय अधिकारी, वरिष्ठ वकील और न्यायविद भी मुख्य न्यायमूर्ति के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं.
इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस और डीएमके जैसी विपक्षी राजनीतिक पार्टियां भी महाभियोग प्रस्ताव से किनारा करती दिख रही हैं. वहीं, शनिवार को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री की ओर से जारी सूची से स्पष्ट हो गया कि मुख्य न्यायमूर्ति खुद को सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक और न्यायिक कामकाज से दूर नहीं करेंगे. इस सूची में इस बात का पहले की तरह जिक्र है कि कौन न्यायमूर्ति किस केस की सुनवाई करेंगे यानी मास्टर ऑफ रोस्टर के रूप में मुख्य न्यायमूर्ति अपने काम को जारी रखे हुए हैं.
इतना ही नहीं, वो कई अहम मामले की सुनवाई भी करेंगे. 24 अप्रैल को मुख्य न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय खंडपीठ आधार मामले से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई करेंगे. इस केस में आधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 35 याचिकाएं दाखिल की गई हैं.
महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस राजनीति से प्रेरित
वहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के हवाले से बताया कि मुख्य न्यायमूर्ति मिश्रा का मानना है कि उनको पद से हटाने के लिए लाया जा रहा महाभियोग प्रस्ताव निराधार, राजनीतिक से प्रेरित और उनको मुख्य न्यायमूर्ति के कर्तव्य निर्वहन से रोकने वाला है.
मुख्य न्यायमूर्ति ने नहीं किया कोई गलत काम
सूत्रों का कहना है कि पूर्व अटॉर्नी जनरल के. परासरन और उनके बेटे पूर्व सॉलिसिटर जनरल मोहन के अतिरिक्त पूर्व वरिष्ठ वकील महालक्ष्मी पवानी ने भी मुख्य न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा का खुलकर समर्थन किया है. इन लोगों का कहना है कि मुख्य न्यायमूर्ति ने कोई गलत काम नहीं किया है. ऐसे में कांग्रेस का महाभियोग प्रस्ताव का राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल बचकाना लगता है.कांग्रेस ने संसदीय नियमों का किया उल्लंघन
इसके अलावा संसदीय अधिकारियों ने महाभियोग प्रस्ताव की जानकारी सार्वजनिक करने के कांग्रेस के कदम को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस समेत सात राजनीतिक पार्टियों ने राज्यसभा के सभापति को मुख्य न्यायमूर्ति के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए प्रस्ताव दिया और फिर इस संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. सभापति द्वारा महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार करने से पहले कांग्रेस का इस तरह से सार्वजनिक रूप से जानकारी देना संसदीय नियमों का उल्लंघन है.
नायडू के फैसले के बाद मुख्य न्यायमूर्ति अपने स्टैंड पर करेंगे विचार
सूत्रों ने कहा कि अगर वेंकैया नायडू महाभियोग प्रस्ताव को मंजूर करते हैं, तो मुख्य न्यायमूर्ति अपने स्टैंड पर दोबारा विचार करेंगे, वरना वो अपने प्रशासनिक और न्यायिक काम को पहले की तरह जारी रखेंगे. बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी मुख्य न्यायमूर्ति से इसलिए नाराज है, क्योंकि उन्होंने पार्टी के कुछ वकीलों की संवेदनशील केस की सुनवाई टालने की मांग को ठुकरा चुके हैं. वहीं, वेंकैया नायडू को अधिकार है कि अगर वो नोटिस में दिए गए कारणों से संतुष्ट नहीं होते हैं, तो इसको खारिज कर सकते हैं.
इन अहम मामले की सुनवाई कर रहे हैं मुख्य न्यायमूर्ति
– कठुआ गैंगरेप मामला- इसमें पीड़िता के पिता ने मामले को जम्मू-कश्मीर से बाहर चंडीगढ़ ट्रांसफर करने की याचिका लगाई है.
– आधार की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई
– राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस
– भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा-377 को खत्म करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई
– कावेरी विवाद केस- इस केस में न्यायापालिका के आदेश का पालन नहीं होने पर केंद्र सरकार के खिलाफ अवमानना की याचिका पर सुनवाई हो रही है
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